एक अजीब सा मंजर नज़र आता है! ,
हर एक आँसू समंदर नज़र आता है! ,
कहाँ रखु मैं शीशे सा दिल अपना! ,
हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है!
एक अजीब सा मंजर नज़र आता है! ,
हर एक आँसू समंदर नज़र आता है! ,
कहाँ रखु मैं शीशे सा दिल अपना! ,
हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है!