पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है,
कुदरत में पत्ते सूखते हैं हकीकत में रिश्ते,
तेरी यादें जैसे मौसम-ए-पतझड़,
जब भी आती है बिखेर देती है मुझे
पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है,
कुदरत में पत्ते सूखते हैं हकीकत में रिश्ते,
तेरी यादें जैसे मौसम-ए-पतझड़,
जब भी आती है बिखेर देती है मुझे