फूल खिलखिला उठे हैं पहाड़ों में ,
परियाँ गा रहीं हैं मंगल बहारों में ,
सुनने में आया है आज है जन्मदिन उसका जो ,
एक है लाखों करोड़ों और हजारों में!
फूल खिलखिला उठे हैं पहाड़ों में ,
परियाँ गा रहीं हैं मंगल बहारों में ,
सुनने में आया है आज है जन्मदिन उसका जो ,
एक है लाखों करोड़ों और हजारों में!