मौसम ने छेड़ा यहाँ फिर वसंती राग, 🌸🎶
फूलो का मेला लगा, झूम उठे हैं बाग़, 💐🌿
प्रेम-प्यार बढे, बुझे द्वेष की आग, 💖🔥
वर्ष की है ये दुआ, धुलें क्लेश के दाग। 🌺🌧️
मौसम ने छेड़ा यहाँ फिर वसंती राग, 🌸🎶
फूलो का मेला लगा, झूम उठे हैं बाग़, 💐🌿
प्रेम-प्यार बढे, बुझे द्वेष की आग, 💖🔥
वर्ष की है ये दुआ, धुलें क्लेश के दाग। 🌺🌧️
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